ras hindi vyakaran class 12 रस हिन्दी व्याकरण | रस के प्रकार | ras hindi grammar
ras hindi vyakaran class 12 रस हिन्दी व्याकरण
रस (Feeling)
1. श्रंगार (Partners’ Love) | 7. भयानक (Fear) |
2. हास्य (Laugh) | 8. विभत्स (Disgust) |
3. करुण (Sorrow) | 9. शांत (Silent) |
4. रौद्र (Anger) | 10. वीर (Pride) |
5. अद्भुत (Surprised) | 11. भक्ति (Devotees’ Love) |
6. वात्सालय (Parents’ Love) |
(सितंबर ‘२१; मार्च ‘२३)
१)सुड़क, सुड़क घाव से पिल्लू (मवाद) निकाल रहा है।
नासिका से स्वेत पदार्थ निकाल रहा है।
उत्तर : भक्ति रस।
(२) कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत,
लजियात।
भरे भौन में करत हैं, नैननु ही सौं बात।। (सितंबर ‘२१)
उत्तर) श्रृंगार रस
(३) माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डारि कै, मन का मनका फेर। (सितंबर ‘२१; मार्च २१)
उत्तर : शांत रसl
(४) बिनु-पग चलै, सुनै बिनु काना।
कर बिनु कर्म करै विधि नाना।।
आनन रहित सकल रस भोगी।
बिनु बाणी वक्ता, बड़ जोगी।। (सितंबर ‘२१; जुलाई ‘२२)
उत्तर : अद्भुत रस।
(५) श्रीकृष्ण के वचन सुन अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब शोक अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे।
संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े।
करते हुए यह घोषणा, वे हो गए उठकर खड़े।
उस काल मारे क्रोध के, तन काँपने उनका लगा।
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।
उत्तर : रौद्र रस।
(६) राम के रूप निहारति जानकी,
कंकन के नग की परछाहीं,
याते सबै सुधि भूलि गई
कर टेकि रही पल टारत नाहीं।
उत्तर : श्रृंगार रस ।
(७) समदरसी है नाम तिहारो, सोई पार करो। एक नदिया एक नार कहावत, मैलो नीर भरो। एक लोहा पूजा में राखत, एक घर बधिक परो, सो सुविधा पारस नहीं जानत, कंचन करत खरो।
उत्तर : भक्ति रसl
(८) सिर पर बैठ्यो काग, आँखि दोउ खात निकारत ।
खींचहिं जीभहिं स्यार अतिहिं आनंद उर धारत।
गिद्ध जाँघ को खोदि-खोदि कै माँस उच्चारत,
स्वान आँगुरिन काटि-काटि कै, खात बिदारत।
उत्तर : वीभत्स रस।
(९) कहा-कैकेयी ने सक्रोध।
दूर हट! दूर हट! निबोध !
द्विजिह्वे रस में बिष मत घोल।
उत्तर : रौद्र रस।
(१०) तू दयालु दीन हौं, तू दानि हों भिखारी।
हाँ प्रसिद्ध पातकी, तू पाप पुंज हारी।।
उत्तर : भक्ति रस।
(११) माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदे मोह।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूँगी तोह।। (मार्च २२ – ‘२३)
उत्तर : शांत रस।
(१२) लीन्हों उखारि पहार बिसाल,
चल्यों तेहि काल विलंब न लायौ।
मारुतनंदन मारुत को, मन को,
खगराज को बेग लजायौ।
तीखी तुरा तुलसी कहतो,
पै हिए उपमा को समाउ न आयो।
मानो प्रतच्छ परब्बत की नभ लोक
लसी कपि यों धुकि धायो।
उत्तर : अद्भुत रस ।
1.श्रृंगार रस
उदाहरण.
बतरस लालच लाल की,मुरली धारी लुकाय। सौ करै भौहानि हसै, दैन कहै नहि जाय।।
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