Vishesh Adhyayan class 12 hindi yuvakbharti Maharashtra State Board


Vishesh Adhyayan class 12 hindi yuvakbharti Maharashtra State Board

Vishesh Adhyayan class 12 hindi yuvakbharti Maharashtra State Board 12th Standard Board Exam

१) ‘कवि ने राधा (कनुप्रिया) के माध्यम से आधुनिक मानव की व्यथा को शब्दबद्ध किया है’, इस कथन को स्पष्ट कीजिए। [मार्च २०२२]

उत्तर) अमंगल छाया।

        आधुनिक समय में कर्तव्य और अपनो के बीच में चुनाव करना हर किसी मनुष्य के लिए मुश्किल सवाल होने लगा हैं। पैसे कमाने के लिए अपनो के पास रहना या उन्हें ज्यादा से ज्यादा समय चाहकर भी लोग नही दे पाते हैं,जैसे कवि ने कृष्ण जी के लिए बताया हैं। हम सबको पता हैं उनका और राधा जी का प्रेम जो सबसे उत्तम और सच्चा था।

कृष्ण जी को भी अपने कर्तव्य के लिए राधा जी को छोड़ना पड़ा क्योंकि महाभारत का युद्ध उनके अवतार लेने का और पाप को खत्म करना ही उनके जीवन का लक्ष्य था। राधा जी को इस बात का दुख भी होता हैं की कृष्ण जी उनके साथ नही पर इस बात की खुशी भी थी की वो अपना कर्तव्य पूरा कर रहे हैं। यही आज हर किसी के साथ होता हैं हम अपनो की कामयाबी देखकर खुश होते हैं पर साथ ही दुख भी होता हैं की वो हमसे दूर हैं या हर वक्त हमारे साथ नही।


२)राधा (कनुप्रिया) की दृष्टि से जीवन की सार्थकता बताइए। [मार्च २०२२]

उत्तर) एक प्रश्न

        बचपन से ही राधा जी को कृष्ण जी ने ही समझाया था की जीवन का एक मात्र अर्थ हैं सिर्फ प्रेम इसलिए जीवन भर राधा जी के लिए जीवन में प्रेम के अलावा और कोई चीज का कोई मतलब नही था। महाभारत का युद्ध,पाप का नाश और उसमे कृष्ण जी का हिस्सा ये सब उनके लिए बेमतलब की चीज़े थी। युद्ध की शुरुवात में कृष्ण जी ने अर्जुन को भी जीवन की सार्थकता को समझते हुए युद्ध की आवश्यकता बताई।

उन्होंने अर्जुन को समझाया की इस युद्ध से कैसे सब कुछ सही हो जाएगा। बुराई का अंत होगा और कैसे ये विनाश और मौतें एक अच्छी शुरुवात और नए अच्छे जीवन को लाएगी,परंतु राधा जी कहती हैं कृष्ण ने जो उन्हे बचपन से समझाया था अब बस उनके लिए भी जीवन की सार्थकता हैं।


३)कनुप्रिया के मन में मोह उत्पन्न हो गया है।

उत्तर) शब्द: अर्थहीन

     कनुप्रिया अपने कनु अर्थात श्रीकृष्ण से बहुत अधिक प्रेम करती हैं। कनु के चले जाने के बाद कनुप्रिया बहुत दुखी हो जाती हैं। वह कनु के साथ बिताए अपने एक-एक क्षण की याद में डूबी रहती हैं। कनु द्वारा बोले गए एक-एक शब्द को उन्होंने अपनी यादों में बसा लिया है। जब वे यह सुनती हैं कि कनु महाभारत के युद्ध में अर्जुन को उपदेश दे रहे हैं, तो उनके मन में मोह उत्पन्न हो जाता है। मोह इस बात का कि जिस तरह कनु अर्थात श्रीकृष्ण अपनी वाणी से अर्जुन को उपदेश दे रहे है, उसी तरह वे कनुप्रिया को उपदेश दें। कनुप्रिया यह भी स्पष्ट करती हैं कि उन्हें युद्ध के बारे में कोई ज्ञान नहीं है और न ही उन्हें कर्म-धर्म आदि से कुछ लेना-देना है। वे इनके बारे में न कुछ जानती है और न ही जानना चाहती है। उन्हें तो बस कनु के मुख में निकलने वाले शब्दों को सुनना है। कनुप्रिया को कनु के मुख से निकलने वाले प्रत्येक शब्द से मोह है। उन्हें ऐसा लगता है कि कनु के मुख से निकलने वाले प्रत्येक शब्द का अर्थ कनुप्रिया ही है। इस तरह कनुप्रिया अपने प्रिय के मुँह से ढेर सारी बातें सुनने के लिए आतुर हैं और इसी कारण उन्हें मोह उत्पन्न हुआ है।

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